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तमिल सिनेमा का अगला टार्गेट है 2025 में 1000 करोड़ रुपये को छू लेना। ‘कुली’ तो लगभग तैयार है, लेकिन उससे पहले परदे पर आ चुकी है एक ऐसी फिल्म, जिसका बजट सुनकर आप हैरान रह जाएंगे—एक लाख करोड़ रुपये की फिल्म, ‘कुबेरा’। हिंदी में इसे ‘कुबेर’ भी कह सकते हैं।
यह फिल्म बनने जा रही है साल की सबसे यूनिक, सबसे अलग और सबसे साहसी कोशिश। और हाँ, यह फिल्म हिंदी में भी रिलीज़ हो चुकी है—जो कि एक बोनस है!
लेकिन शुरू में ही एक चेतावनी—यह फिल्म हर किसी के लिए नहीं है।
इसे सिर्फ वही लोग देखें, जिनका दिमाग थोड़ा तेज़ चलता है, जो सीमाओं के बाहर सोच सकते हैं।
यह कोई आम एंटरटेनमेंट फिल्म नहीं है।
इस फिल्म का एक भी सीन आप पहले से अंदाजा नहीं लगा पाएंगे। इसमें है—पैसा, लालच, खून, और… स्वयं भगवान शिव की उपस्थिति!
आपको ‘स्कैम’ वेब सीरीज़ याद है? जिसे बहुत से लोग भारतीय OTT इतिहास की सबसे बेहतरीन वेब सीरीज़ मानते हैं। बाद में ‘लकी भास्कर’ ने उसे चुनौती दी।
अब उस जगह को चुनौती दे दी है—‘कुबेरा’ ने।
इस फिल्म की कहानी शुरू होती है सागर मंथन की अवधारणा से—जब देवता और असुर मिलकर अमृत की खोज में सागर मंथन करते हैं, लेकिन पहले निकलता है ज़हर।
तब भगवान शिव वह ज़हर पीकर दुनिया को बचाते हैं।
‘कुबेरा’ की कहानी में भी एक ऐसा ही मंथन है,
जिसका फल है एक लाख करोड़ रुपये।
लेकिन ये पैसा अमृत नहीं… यह ज़हर है।
और इस ज़हर को पीने के लिए जेल से बाहर लाया जाता है एक CBI अफसर को—जो झूठे केस में 10 साल जेल काट चुका है।
उसे रिहा करने की चाबी है एक आइडिया—जिसके ज़रिए वह इस ज़हर को अमृत में बदलना चाहता है… यानी ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में।
इस कहानी में अचानक एक भिखारी जुड़ता है, जो तिरुपति में भीख माँगता है।
कहा जाता है, “इसके सिर पर शिव-पार्वती का हाथ है।”
वह एक ऐसा इंसान है जो मर नहीं सकता!
क्योंकि उसने माँ से वादा किया है—वो 100 साल जिएगा।
और माँ के आशीर्वाद से वह शर्त कभी टूट नहीं सकती।
शायद कहानी में ज़रा भावनाओं का रंग ज़्यादा चढ़ गया… तो चलिए अब खून-खराबे की बात करते हैं।
काली सागर के बीचोंबीच एक विशाल जहाज… और एक आदमी जान की भीख माँग रहा है।
जानते हैं, डर किस बात का है?
उस समंदर का… जहां आज रात मौत घूम रही है।
शार्क के बारे में तो जानते ही हैं?
उनका पसंदीदा खाना है इंसानी खून।
एक बार काटा… फिर सब ख़त्म।
अब ज़रा और इंटरेस्टिंग बना देते हैं—
इस कहानी में है एक लड़की, जो प्यार के लिए घर से भागी थी, लेकिन अब उसके हाथ में है कुबेर का खज़ाना!
हाँ, एक बैग भरा हुआ सोने की ईंटों और नोटों के बंडलों से।
इतना पैसा कि वो चाहे तो ‘पुष्पा’ की श्रीवल्ली को भी खरीद ले!
एक ही फिल्म के अंदर चल रही हैं चार-पाँच अलग-अलग कहानियाँ—
और वो इस तरह आपस में जुड़ जाती हैं कि
आपके दिमाग में विस्फोट हो जाएगा।
और अगर आप सोचते हैं कि ये सिर्फ कॉन्सेप्ट में स्ट्रॉन्ग है,
तो जान लीजिए—धनुष का लुक देखकर आप नज़रें नहीं हटा पाएंगे।
उसकी एक्टिंग एक ऐसे स्तर पर पहुंच गई है,
जहाँ लगेगा कि एक ही फिल्म में तीन-तीन धनुष काम कर रहे हैं!
हर किरदार के हिसाब से उसने अपना रंग बदला है,
मानो एक ज़िंदा गिरगिट हो।
इस फिल्म की कहानी बहुत धीमी रफ्तार से चलती है,
इसलिए जो लोग धीरे-धीरे जलने वाली आग की तरह मूवी पसंद करते हैं,
‘कुबेरा’ उनके लिए एकदम परफेक्ट है।
जो काम ‘रेड 2’ कर सकती थी,
वो करके दिखाया है ‘कुबेरा’ ने।
ये है एक असली पॉलिटिकल थ्रिलर—
जहाँ सरकार, अपराधी और बिज़नेसमैनों के नकाब एक-एक करके उतरते हैं।
धनुष के अलावा इस फिल्म के दो और मज़बूत स्तंभ हैं—नागार्जुन और जिम।
इन दोनों किरदारों की प्लानिंग और साज़िशें
आपकी सोच की रफ्तार थाम देंगी।
उनके बीच एक लाख करोड़ की जो आँख-मिचौली चल रही है,
वो आपके दिल में डर और जिज्ञासा—दोनों पैदा कर देगी।
और इन सबके बीच, थोड़ा सुकून और हंसी लाती है रश्मिका।
हाँ, इतनी सीरियस कहानी में उसने जिस तरह ह्यूमर और कॉमेडी डाली है,
वही ‘कुबेरा’ को एक पारिवारिक फिल्म बना देती है।
उसका किरदार एक एक्स-फैक्टर बनकर उभरता है—जो दर्शकों के दिल में खास जगह बना लेता है।
फिल्म का क्लाइमेक्स कुछ इस तरह बना है कि
आप खुद एक सवाल में उलझ जाएंगे—
“शिव जी बार-बार धनुष के किरदार को मौत के मुँह से क्यों बचा रहे हैं?”
इसका जवाब पाना आसान नहीं।
सबकुछ मिलाकर कहें तो—‘कुबेरा’ एक बिल्कुल नई तरह की फिल्म है।
टॉप लेवल की स्क्रिप्ट, दमदार ऐक्टिंग, और एक खौफ़नाक रियलिटी—
जो पर्दे से निकलकर आपको झकझोर देती है।
हाँ, कुछ कमियाँ भी हैं।
फिल्म थोड़ी लंबी है,
इसलिए सबका धैर्य शायद न टिके।
और शिव जी के किरदार को और गहराई से दिखाया जाता,
तो रियल लाइफ से कनेक्शन और मज़बूत होता।
लेकिन अगर आप कोई आसान-सी फिल्म देखना चाहते हैं,
तो आमिर ख़ान की ओर जाइए।
और अगर आप कुछ अलग, सोच-उत्तेजक, और दिमाग हिला देने वाला देखना चाहते हैं—
तो ‘कुबेरा’ का दरवाज़ा आपके लिए खुला है।
आख़िर में बस यही कहूँगा—फिल्म कैसी लगी, वो आप तय करेंगे।
और अगर ये रिव्यू अच्छा लगा हो या कुछ कहना हो,
तो नीचे कमेंट करना मत भूलिए!
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